रिश्ते: बंधन नहीं, उड़ान बनें

रिश्ते… सिर्फ नामों से नहीं बनते — माँ, पिता, साथी, दोस्त या भाई।
रिश्ते तो भावनाओं की वो नदी हैं, जिसमें हम हर रोज़ बहते हैं — कभी प्रेम में, कभी उम्मीद में, कभी चुपचाप टूटते हुए।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है — एक रिश्ता हमारे पंख भी बन सकता है?

जब कोई कहे, "तुम नहीं समझोगे", तो वहां समझने की नहीं, सुनने की ज़रूरत होती है।
जब कोई बार-बार टूटता है, तो उन्हें जोड़ने के लिए सलाह नहीं, साथ चाहिए होता है।
और जब कोई हमें छोड़ जाता है, तो सबसे पहले हमें खुद से कहना चाहिए — "मैं अभी भी अधूरा नहीं हूं।"

🌿 रिश्ते दो लोगों के बीच नहीं, दो आत्माओं के बीच होते हैं।

अगर कोई रिश्ता हमें बार-बार नीचे गिरा रहा है, हमारी उड़ान रोक रहा है, तो ज़रूरी नहीं कि वो रिश्ता गलत हो — शायद हमारी अपनी सीमाएं तंग हो चुकी हैं।
रिश्ते तो हैं ही इसलिए — कि हम अपनी सीमाओं को तोड़ें, और एक-दूसरे को उड़ना सिखाएं।

💫 रिश्ते निभाना एक कला है — लेकिन सबसे ज़रूरी है खुद से रिश्ता निभाना।

अगर आप किसी के लिए सब कुछ कर रहे हैं और फिर भी अधूरे महसूस करते हैं, तो एक बार खुद को गले लगाइए।
कभी-कभी सबसे सच्चा रिश्ता वो होता है जो हम अपने भीतर बनाते हैं।

🔥 टूटे रिश्ते हमें सिखाते हैं कि हम कितने मजबूत हैं।

हां, किसी का जाना दर्द देता है। लेकिन उसी दर्द से हम अपने भीतर के लेखक, कलाकार, प्रेमी, या योद्धा को जगाते हैं।
हर गिरता हुआ रिश्ता हमें एक नई उड़ान के लिए तैयार करता है।


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अंत में बस इतना कहूंगी:
रिश्ते अगर आपको रोक रहे हैं, तो उन्हें सहेजिए, समझाइए…
पर अगर फिर भी वो आपकी रूह को चोट दे रहे हैं —
तो याद रखिए, आपका पहला रिश्ता आपकी आत्मा से है।

उसे कभी मत तोड़िए।